किसी भी खेल के लिए सबसे जरूरी बात होती है उसके प्रति
खिलाड़ियों का समर्पण। खिलाड़ी जब अपने पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ खेल को
आत्मसात करता है तभी वह खेल के हर पहलू का लुत्फ उठाता है और सफलता की इबारत भी
गढ़ता है। खेलों के महाकुंभ 'ओलंपिक' को लेकर तो
खिलाड़ी इतना उत्साहित होता है कि उसके लिए पदक से ज्यादा बस उसमें सहभागिता की
बात ही उसे रोमांचित कर देती है। ऐसे में अगर किसी खिलाड़ी को किसी भी वजह से
ओलंपिक से दूर किया जाए तो उसकी मनोदशा को समझना ज्यादा कठिन ना होगा।
ओलंपिक खेलों के लिए देश का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम
में स्थान मिलने के बाद भी ओलंपिक जाने को लेकर संशय की स्थिति खिलाड़ी के
आत्मविश्वास को पूरी तरह झंकझोर देती है। ऐसा ही कुछ मामला रियो ओलंपिक 2016
के शुरू होने से ठीक पहले घट रहा है। भारत की ओर से ओलंपिक में पदक की उम्मीद बने
पहलवान नरसिंह यादव डोप टेस्ट में फेल पाये गये हैं। उन पर प्रतिबंधित दवाओं के
सेवन का आरोप लगा है। ऐसे में नरसिंह के रियो ओलंपिक जाने को लेकर फैसला अब भी
लंबित है। इसी प्रकार शॉट पुटर इंदरजीत सिंह का 'ए' सैंपल भी डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाया गया है।
डोप के इस डंक से जहां खिलाड़ियों का मनोबल
प्रभावित होता है, वहीं देश की गरिमा पर भी कलंक लगता है।
ऐसे में रियो ओलंपिक में भारत की मेडल जीतने की उम्मीदों को सबसे बड़ा झटका लगा
है।
डोपिंग को लेकर खेल और खिलाड़ी पर अक्सर संदेह के बादल
छाये रहते हैं। आम तौर पर एक खिलाड़ी का करियर छोटा होता है। अपने सर्वश्रेष्ठ
फॉर्म में होने के समय ही खिलाड़ी अमीर और मशहूर होना चाहता है। इसी जल्दबाजी और
शॉर्टकट तरीके से पदक (मेडल) पाने की भूख में कुछ खिलाड़ी अक्सर डोपिंग के जाल में
फंस जाते हैं। मगर भारतीय खिलाड़ियों के साथ ऐसा कुछ है या नहीं, इसका
जवाब तो मामले की जाँच के बाद ही सामने आ सकेगा।
जहां तक बात इंदरजीत सिंह की है... रियो के लिए क्वालीफाई
करने वाले सबसे पहले एथलीट्स में से थे। वो एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड, एशियन
ग्रां प्री और वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में जीत हासिल कर चुके हैं। इंचियोन में
इंदरजीत सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। कंधे की चोट के बावजूद इंदरजीत सिंह ने
इंडियन ग्रां प्री में दूसरा स्थान हासिल किया था। यह विडंबना ही होगी कि इतने
मौकों पर भारत का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ी की वजह से ही आज खेल के वैश्विक स्तर पर
भारत की फजीहत हो रही है। ऐसा ही कुछ पहलवान नरसिंह यादव के साथ भी है। ओलंपिक में
भारत के लिए कुश्ती का स्वर्ण पदक जीतने का सपना संजोने वाले नरसिंह को डोप का ऐसा
डंक लगा कि अब वो पदक तो दूर सहभागिता मिलने की आस लगा रहे हैं।
डोप मामले में फंसे खिलाड़ियों को लेकर केंद्रीय खेल
मंत्री विजय गोयल ने स्पष्ट किया है कि दोनों खिलाड़ियों को अस्थायी तौर पर
निलंबित किया गया है। अगर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी का पैनल उन्हें दोषमुक्त करार
देता है तो वे रियो ओलंपिक में हिस्सा ले सकते हैं। फिलहाल अस्थायी निलंबन के कारण
ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व अब 118 खिलाड़ी करेंगे। बता दें कि
पहले रियो ओलंपिक के लिए भारत ने 120 खिलाड़ियों का दल तैयार
किया था।
डोपिंग की यह बीमारी केवल भारत में ही नहीं, पूरी
दुनिया में फैली हुई है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय खेल पंचाट ने डोपिंग को लेकर
रूस की अपील खारिज कर दी, जिससे रूस की ट्रैक और फील्ड टीम
रियो ओलंपिक में भाग नहीं ले सकेगी। यहां तक कि बीजिंग ओलंपिक 2008 के 23 पदक विजेताओं समेत 45
खिलाड़ी पॉजीटिव पाए गए। जाँच का परिणाम ये है कि बीजिंग और लंदन ओलंपिक के नमूनों
की दोबारा जांच में नाकाम रहे खिलाड़ियों की संख्या अब बढ़कर 98 हो गई है।
वर्ष 2004 के एथेंस ओलंपिक खेलों में भी डोप के 26 मामले सामने आए। इससे पहले इतने खिलाड़ियों पर कभी भी डोपिंग का आरोप
नहीं लगा। इन 26 खिलाड़ियों में से छह को पदक मिले थे। दो तो
स्वर्ण पदक विजेता थे। बहरीन के राशिज रमजी के खून में तो ईपीओ तक पाया गया। ईपीओ
से लाल रक्त कणिकाएं बढ़ जाती है और शरीर क्षमता से तेज काम करता है। इसके बाद
रमजी से उनका स्वर्ण पदक छीन लिया गया।
डोपिंग के हालिया मामले और भारतीय खिलाड़ियों पर लगे
आरोपों के बीच भारतीय प्रशंसकों की उम्मीद अब भी यहीं है कि दोनों खिलाड़ी नरसिंह
यादव और इंदरजीत सिंह रियो जाएंगे। आखिर ऐसी उम्मीद हो भी क्यों ना.. जिस खिलाड़ी
पर देश के लिए पदक जीतने का भार हो वो भला खेल दूर रहे तो किसे नहीं अखरेगा। खैर, खेल
संघों की जाँच के जवाब पर ही यह तय होगा कि नरसिंह और इंदरजीत रियो में भारत का
मान बढ़ाते हैं या डोप का डंक देश की गरीमा को लांछित करेगा।
-आकाश कुमार राय