शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

मेरा अपना चाँद है...


मेरी आंखों में तेरे अक्स का ये चाँद हर पल है,
फिर क्यूं करके मैं दूसरे चाँद का दीदार भी करूं।

हमारे तीज-औ-करवाचौथ तो हर रोज होते हैं,
जब चाहा तुम्हे देखा और पारन हो गया अपना।

यही एक बात तो जहन में आज भी हैं ताजा,
जो तुम हो मेरे तो तुम्हें पाने की क्यूँ मिन्नते करनी।

ये और बातें है कि तुमसे दूरी निगाहे हू-ब-हू के हैं,
तो फिर जाना ये इंटरनेट भी तो बड़े काम आते हैं।

चलो फिर से तुम्हारी याद से, तर आंखों को करते हैं,
कि मौसम हो कोई सा भी, सुकून इससे ही मिलता है।

शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

तू है मेरी गुड़िया...


"रफ्तार की मानिंद सी हैं धड़कने मेरी,
एक तेरी झलक से ही आराम मिले है।
तू नूर आंखों का, तेरे ही दृश्य आंखों में,
भला मैं कैसे कह दूं फिर, तू मुझसे दूर रहे हैं।
जहाँ सोचा वहाँ पाया, जहन में याद ताजा कर,
मैं खुद में खो भी जाऊं तो, मन तेरे पास रहे हैं।
तेरे लिये ही तो हैं अब सारी अर्जियाँ मेरी,
एक तेरे वास्ते ही तो सारे जतन किये हैं।
मेरी सांसे, मेरी बातें, मेरे खयाल भी बस तू...
कि तू है मेरी गुड़िया, तुझसे दिल के तार जुड़े हैं।"

LOVE YOU BETU...

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