है दिल में आह होंठो पे मेरी फ़रियाद का मौसम ,
अभी तक नम है अश्को से मेरी रूहाद का मौसम .
हजारो रंग बदले हैं ज़माने की फिजाओ ने ,
मगर दिल से नहीं जाता तुम्हारी याद का मौसम .
कभी ख्वाबो में रहता हूँ , कभी जागे ही सोता हूँ ,
तुम्हारी याद में जानम मै हर पल ही रोता हूँ .
कब पलके नहीं भींगी , गला कब तर्ख नहीं होता ,
बैठ महफ़िल में कैसे कहू की जुदाई का दर्द नहीं होता .
कभी सिसकियाँ नहीं बदली , ना ही आहों का रुख मोड़ा ,
बस दिल ही दिल में तडपा हूँ , चुपचाप ही मरता हूँ .
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