गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

क्रिकेट मतलब, शौहरत-पैसा और हसीनाओं का ताना-बाना



जैन्टलमैंस गेम कहे जाने वाला क्रिकेट अब भद्रजनों का खेल नहीं रहा। इसमें सेक्स और सट्टा का तड़का लग गया है, जिससे खिलाड़ी तो खिलाड़ी अब अंपायर भी अछूते नहीं हैं। क्रिकेटरों की रंगीनमिजाजी तो सबके सामने है जिसका ताजा उदाहरण श्रीलंका में आयोजित टी20 विश्वकप में भी देखने को मिला। शोहरत और पैसों की चकाचौंध ने खिलाड़ियों को उनके मूल केंद्रीय भाव से भटका दिया है।

एक समय था जब खिलाड़ी अपने खेल को निखारने के लिए सतत प्रयास करते थे तथा बेहतर खेल प्रदर्शन के बाद भी अपनी कमियों और आउट होने के तरीकों बारे विचार करते थे। पर आज खेल मानसिक मजबूती और कलात्मकता से कहीं परे हो गया है। कल की कलात्मकता की जगह आज के तेज तर्रार शॉट और शारीरिक डीलडौल ने ले ली है। इसी का नतीजा है कि खेल में कलाईयों और टाईमिंग के बजाय लंबे और तगड़े शॉट देखने को मिलते हैं। खैर यह तो परिवर्तन का नियम शास्वत ही है। एक नयी पीढ़ी अपने साथ कुछ नया लेकर आती ही है और उसके ही हाल का कल्चर कहा जाता है। ऐसे में जो पैसा, पब्लिसीटी और हसिनाओं का जो तालमेल देखने को मिल रहा है वह क्रिकेट के इसी संक्रमण काल का द्योतक है। जो बतला रहा है कि क्रिकेट भी बदल रहा है और उसके खेलने वाले भी।

डॉन ब्रैडमैन, विवियर रिचर्ड, सुनील गावस्कर, कपिल देव, स्टीव वॉ से लेकर सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ तक सभी खिलाड़ियों ने खेल में अपने मुताबिक कुछ नया करने की कोशिश की। जिसमें वो काफी हद तक सफल भी रहे और अपने खेल कौशल के आधार पर भी दशकों तक क्रिकेट के एक स्तंभ बने रहे। इनमें सचिन तो आज भी अपने इस दृढ़ प्रतिज्ञ आस्था के साथ जुड़े हुए ही है औऱ शायद जब तक रहें खेल को एक नई विधा बताते भी रहें। ब्रैडमैन से लेकर द्रविड़ तक जितने भी खिलाड़ी आये सबने क्रिकेट को खेल से ज्यादा जीवन का अहम हिस्सा समझ जिया और उसकी गरीमा को बनाये रखने में ही अपनी जीत सुनिश्चित की। पर आज का युवा खिलाड़ी खेल को उनसे बेहतर तरीके से प्रयोग में लाने का हुनर जानते हैं तभी तो लक्ष्मण जैसे क्लास बल्लेबाज के लिए टेस्ट टीम में भी जगह नहीं मिली और दो-चार मैचों का इल्म रखने वाले रोहित, विराट और पुजारा को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। यहीं बदलाव है जो वर्तमान क्रिकेट के दौर में देखने को मिल रहा है।

आज के खिलाड़ी खेल को मैदान पर खेलने के बाद भूलते नहीं बल्कि उस खेल के जरिए अपने बाकि समय में भी उसकी खूबियों के मार्फत लाभ उठाने में लगे हैं। कभी आर्थिक लाभ के लिए कभी अईयाशी के लिए अपने प्रसिद्धी को आजमाते रहते हैं। इंडियन प्रीमियर लीग में खिलाड़ियों का महिलाओं के प्रति सलूक और पैसों के लिए मैच फिक्सिंग की बात को कौन भूला सकता है। इसके अलावा अब अंपायरों को भी मैच फिक्स कराने का हुनर आ गया है और हाल के खुलासे ने आईसीसी के छह अंपायरों की पोल भी खोली है। इतना ही नहीं लड़कियों के प्रति लार टपकाने के मामले में भी अंपायर पीछे नहीं हैं आखिर वो भी कभी खिलाड़ी रहे होंगे इस बात को वो भूले नहीं हैं शायद। तभी तो पाकिस्तानी अंपायर अशद रऊफ ने एक पाकी मॉडल को अपनी भूख के बाबत पैसे देकर होटल के कमरे में बुलाने क्रम चलाया था। वो तो शुक्र हो कि उक्त मॉडल का ईमान अब भी कायम था और वो कई रातें रऊफ की रंगीन करने के बाद आखिरकार खुलासा करने पर उतर आयी।

इससे इतर जैंटलमैंस गेम के खिलाड़ियों के प्रति मुंबई टीम की चीयरलीडर रह चुकी दक्षिण अफ्रीकी मॉडल गैबरीला पास्कालोटो ने पिछले साल कुछ पोल भी खोले थे। जिसके कारण उनकी टीम से छुट्टी भी हो गयी थी। गैबरीला की मानें तो 'जेंटलमैन गेम्स' में शामिल कई सितारा क्रिकेटरों के रंग-ढंग मैच के बाद बदल जाते हैं। आईपीएल पार्टियों में लार टपकाते, लड़कियों के इर्दगिर्द मंडराते और सीरियल किसर के रूप में उन्हें देखा जा सकता है। गैबरीला ने तो ब्लॉग पर लिखा भी था कि असली मौजमस्ती तो वीआईपी कमरों में होती है, जहां खिलाड़ी और देर रात तक पार्टी करने वाले स्कैंडल कर सकते हैं। खिलाड़ियों की हरकतों को बारिकी से उघाड़ते हुए गैबरीला ने लिखा है, ‘वो (जैंटलमैन क्रिकेटर्स) पहले आपका चेहरा देखते हैं, फिर आपके पेट के ऊपर, फिर पीठ के नीचे देखते हैं, फिर दोबारा पेट के ऊपर देखते हैं। वो लोग हमें मांस के टुकड़ों की तरह समझते हैं। जो उनके खेल के बाद शायद उनका तोहफा हो जिसे वो अपने बिस्तर पर नोचने की तैयारी में लगे हो।’ गैबरीला ने कुल 8 खिलाड़ियों को इस बाबत जोड़ा था जिसमें चार ऑस्ट्रेलियाई, एक दक्षिण अफ्रीकी तथा तीन भारतीय खिलाड़ियों के नाम शामिल थे।

क्रिकेट के खेल में फिक्सिंग का तो पुराना नाता रहा है लेकिन उसमें भी अब काफी परिवर्तन आ गया है। वर्तमान समय में खिलाड़ियों को पटाने के लिए भी महिलाओं को चारे की तरह आजमाया जा रहा है। जो अपने हुश्न और मादक अदाओं के बल पर खिलाड़ियों को रिझाती हैं तथा बड़ी कीमत पर उन्हें पटा भी लेती हैं। बालिवुड अभिनेत्री नूपुर मेहता का नाम भी ऐसी ही सुंदरियों में शुमार है जो खिलाड़ियों की फिक्सिंग कराने का भी हुनर जानती हैं। एक समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था कि नूपुर जैसी हॉट मॉडल क्रिकेटरों को फंसाने में सटोरियों की मदद करती हैं। उसने तो यहां तक कहा था कि नूपुर श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान तिलकरत्ने दिलशान के साथ डेटिंग कर चुकी हैं। हालांकि आईसीस जांच में कुछ भी साबित नहीं हो पाया था लेकिन यह बात भी कैसे मानी जाये कि बिना आग के ही धुआं उठने लगा था। कुछ तो इस क्रिकेट में है तभी तो झारम-झार पैसों और शोहरत की बारिश के बाद अब महिलाओं का भी क्रम चल पड़ा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कल के क्रिकेट से आज का क्रिकेट काफी भिन्न हो गया है, ऐसे में आज के इस खेल की परिभाषा पैसा-शोहरत और हसीनाओं के पुट के बिना अधूरी ही जान पड़ती है।

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