हे राष्ट्रोन्यायक, हे परम तपस्वी,
जन-जन के वाणी के संबल।
हे अन्त्योदय के प्रखर पुंज,
करते हैं तेरी हम जय जय।।
तुम स्थिरता, उद्वेग तुम्हीं हो,
इस जीवन का तेज तुम्हीं हो।
यह अटल भाग्य हम सबका है,
हमको जो मिला संस्कार अटल।।
जीवन की थाती देने को,.
आये तुम पृथ्वी पर हो विह्वल।
देश गढ़ा है जीत दिलों को,
यह सकल विश्व अनुगामी है।
हे वाक प्रखर, हे कालजयी,
तुम सा न कोई बलिदानी है।।
अजर रहे तूं.. अमर रहे,
युगों-युगों तक प्रवर रहे,
शब्द तुम्हारे कण-कण गूंजे,
तूं पर्वत सा सदा अटल रहे।।
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