“विदा हुआ तो बात मेरी मान कर गया,
जो उसके पास था सब मुझे दान कर गया।
बिछड़े कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई,
एक व्यक्ति सारे शहर को वीरान कर गया।
दिलचस्प बात है उसके जाने के पीछे,
अपने हितों पर मुझे कुर्बान कर गया।
अब शहर में कोई भी मुझे पहचानता नहीं,
वह अपने साथ मुझे भी अनजान कर गया।”
बहुत सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति , बधाई.
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