शनिवार, 14 जनवरी 2012

तेरी ममता पावन दाई, ओ माई...

अंबर की ये ऊंचाई, धरती की ये गहराई,
तेरे नाम में है समाई, ओ माई...
तेरा मन अमृत का प्याला, यही काबा यही शिवाला
तेरी ममता पावन दाई, ओ माई...

तेरे साथ रहूं मैं बन के तेरा,
तेरे हाथ न आऊ, छुप-छुप जाऊं
यूं खेलूं आंख मिचौली
परियों का कहानी सुना के,
कोई मीठी लोरी गा के,
कर दे सुखदाई, ओ माई...

संसार के ताने-बाने से घबराता है मन मेरा,
इन झुठे रिश्ते नातो में बस प्यार है सच्चा तेरा,
सब दुख सुख में ढ़ल जाये,
तेरी बाहें जो मिल जायें,
मिल जाये मुझे खुदाई, ओ माई...

फिर कोई शरारत हो मुझसे,
नाराज करूं फिर तुझको,
फिर गाल पे थप्पड़ मार के तू,
सीने से लगा ले मुझको,
बचपन की प्यास बुझा दे,
अपने हाथों से खिला दे,
पल्लू से बंधी मीठाई, ओ माई...

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