रविवार, 1 जनवरी 2012

यूं चले दौर यारी के...

ये यारो की महेफिल.... सितारों की संगत ।
पता क्या था मिलेगी हमको रौनक-ए-रंगत ।।

यूं चले दौर यारी के.. हुई सब की सोहबत ।
कुछ अनजाने.. अन-सुलझे चेहरों की उल्फत ।।

यहां किसको समझे... यहां किसको जाने ।
जहां देखता हूँ... सभी में अपनी ही सूरत ।।

न कोई पराया.. रहा हमसे बेगाना अब तो ।
सभी में मिल गये सब अपने ही सब तो ।।

धड़कते हुए दिल से आवाज़ देना ।
तड़पे जो कभी तब सहारा तुम देना ।।

न इल्जाम, न तोहमत, न शिकवा किसी से ।
करेंगे महोब्बत अब हम तो सभी से...।।

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