तेरे बिना मैं कोई फैसला कैसे करूं,
टूट चुका हूँ अब हौसला कैसे करूं।
सोचा नहीं कभी तेरे बिन भी होगी जिंदगी,
अब खुद को भला तुझसे जुदा कैसे करूं।
दिल से चाहा तुझे तो गुनाह कर दिया,
मुकर्रर खुद को इस गुनाह की सजा कैसे करूं।
हो सके तो तू ही कर दे मेरे दिल का फैसला,
मैं फिर तुझी से तुझ को पाने की दुआ कैसे करूं।
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