भारतमाता को ग्रामवासिनी कहा जाता है। अर्थात भारत को पहचान देने वाली विशेषताओं एवं जीवनशक्ति प्रदान करने वाले कारकों का उद्भव गांव आधारित व्यवस्था से होता है। भारतीयता प्रदान करने वाली इस ग्रामीण संरचना का आधार गाय है। गाय ही वह केन्द्र बिन्दु है जिसके चारों तरफ भारतीयता का ताना -बाना बुना गया है। गाय का गोमय एवं गोमूत्र भूमि का पोषण करते हैं पंचगव्य मनुष्यों का पोषण करता है। रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों और जैविक खेती की बढती मांग ने गायों की महत्ता को एक बार फिर से रेखांकित किया है। भारतीय नस्ल की गायों में अल्प मात्रा में स्वर्णमाक्षिक भस्म पाए जाने और अन्य जानवरों से अधिक सुपाच्य होने की बात पुष्ट हो चुकी है। गाय से प्राप्त होने वाले पंचगव्य औषधीय गुणों से भरपूर है। पंचगव्यों के औषधीय गुणों के कारण ही गो-चिकित्सा एक वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्था के रुप में उभर रही है। गोमुत्र में कैंसररोधी तत्वों के पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। आयुर्वेद के अनुसार पंचगव्य का सेवन शरीर में वात, कफ और पित्त को साम्यावस्था में लाकर सभी रोगों का शमन करता है।
पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में भी गाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। गोबर गैस प्लांटों का उपयोग खाना बनाने के लिए ईंधन के रुप में किया जा सकता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ रासायनिक खादों के विकल्प के रुप में हमे जैविक खाद भी मिलेगी। गोबर से बिजली प्राप्त करके हम स्वावलम्बी उर्जा गृह का निर्माण कर सकते हैं। इससे भारत को अपनी उर्जा जरुरतों को पूरा करने के लिए किसी के सामने रिरियाना नहीं पडेगा। न ही अपनी सम्प्रभुता को गिरवी रखकर अमेरिका के साथ नाभिकीय समझौता करने की नौबत आएगी। साथ ही भारत की अकूत सम्पदा बाहर जाने से बच जाएगी।
भारत और गाय का सम्बंध आर्थिक, चिकित्सकीय एवं पर्यावरणीय से अधिक सांस्कृतिक है। पक्ष से अधिक भारत जिन मूल्यों, आस्थाओं, दर्शनों का उपासक है गाय का उनसे सम्बंध है। गाय की सांस्कृतिक महत्ता को स्वीकार करते हुए ही इसमें सभी तैंतीस करोड देवताओं का वास बताया गया है। एक भारतीय जीवन से लेकर मरण तक गोमाता से जुडा होता है। पैदा होने पर गाय के गोबर से ‘लीपकर’ घर में स्वागत किया जाता है और अंत समय उसका परिवार गोदान कर उसे ‘वैतरणी ‘पार कराता है। किसान नयी फसल से प्राप्त अनाज को गाय के गोबर से ‘गोंठकर’ ही तौलना प्रारम्भ करता है। घर में सभी धार्मिक कर्मकाण्डों से पहले भूमि का गोमय से शुध्दीकरण आवश्यक है। और घर में बनने वाला भोजन का पहला हिस्सा गोग्रास के रुप में गोमाता को ही समर्पित किया जाता है। हम कह सकते है कि गाय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रुप से भारतीय जनजीवन में रची-बसी है। गोसंवर्ध्दन और गोसंरक्षण करके हम भारत और भारतीयता को नई शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
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