Akash Apna Hai
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रविवार, 24 जुलाई 2011
"शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,
मेरे अंदर बारिश होती रहती है।
रोज सजाता हूँ ख्वाबों का कारवां,
हकीकत मेरी आंखों को धोती रहती है।"
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