Akash Apna Hai
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रविवार, 24 जुलाई 2011
"शिद्दत-ए-दर्द से शर्मिंदा नहीं है मेरी वफ़ा ... !
दोस्त गहरे हैं तो फिर जख्म भी गहरे होंगे !!"
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