शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

...अब तो


बहुत मशहूर हुए हैं अपने फसाने अब तो,
कुछ और देर जी लेते हैं इसी बहाने अब तो।
मेरे ही गम़ सारे अब सताने से लगे हैं मुझको,
खुशियां भी लगी हैं मुझसे कतराने अब तो।
महफिलों में मेरे हंसने का आलम न पूछिये,
हर हंसी पे कई आंसू पड़ते हैं बहाने अब तो।
ये जो बढ़ रहा है दर्द मेरे सीने का इस कदर,
कि जो हम उन्हें भुलाने में लगे हैं अब तो।
तेरे अंदाज-ए-खयालात का असर बाकि है अभी, 
कि, तेरी बातों को ही मिसाल बना लेते हैं अब तो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Pages