शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

माँ मेरी ...

माँ मेरी तू मुझपे बस इतनी मेहर कर दे,
दे दुआ मुझको सदा खुद में बसर कर दे।
रहूं जब भी तुझसे दूर मेरे दिन चैन से कटे,
रहे माथे पर हाथ तेरा, मन का साहस तू बने।
माँ मेरी मुझको तो बस तेरी दुआ चाहिए,
ताऊम्र तेरे आँचल की ठंडी हवा चाहिए।

खुशियाँ दुनिया भर की तेरे चरणों की धूल हैं,
माँ तेरे आगे अभी तो हम बच्चें सब फूल हैं।
जिन्दगी के हर कदम पर तेरा आसरा चाहिए,
माँ मेरी मुझको तो बस तेरी दुआ ही चाहिए,
ताऊम्र तेरे आँचल की ठंडी हवा ही चाहिए।

सुन कर बातों को मेरी, माँ कुछ सोचती हुई,
आँखों में आए अपने आँसुओं को रोकती हुई,
फिर, रो पड़ी माँ, माथे को मेरे चूमती हुई।
अब कितने दिन रहोगे, मेरे पास तुम यहाँ,
थकती नहीं है मुझ से वो ये पूछती हुई।

रहती है जागती वो मेरी नींद के लिये,
मैं ठीक तो हूँ, हर वक़्त यही सोचती हुई।
कहती है कैसे कटती है परदेश में तेरी,
आँखों से बहते अश्कों को पोछती हुई।
हो गई कमाई और कितना काम करेगा,
घर आ जा बेटा कहती है मुझे टोकती हुई।

उसके आंसुओं को जब भी पोछता हूँ मैं,
कितना दुख झेलती है मां ये सोचता हूँ मैं।
चाहता हूँ कह दूं कुछ दिन इंतजार कर ले,
फिर तेरे संग अपनी तो सुबहो-शाम कटेगी।
तेरी एक आवाज पर मैं तेरे पास रहूंगा,
तब तेरी हर जरुरतों के लिए तैयार रहूंगा।

सुन कर मेरी बातों को वो फिर से आंसु बहायेगी,
एक प्यार की पुच्ची से मेरे माथे को वो छू जायेगी।
मैं फिर से कह पड़ुंगा देख कर माँ के जज्बात को,
माँ मेरी मुझको तो बस तेरी दुआ ही चाहिए,
ताऊम्र तेरे आँचल की ठंडी हवा ही चाहिए।

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