इस आरजू के आगे, कोई
रास्ता नहीं है:
तुम्हे किस कदर है चाहा, तुम्हें
भी पता नहीं है।
कोई पल बिना तुम्हारे, भला
कैसे बीत जाये:
जो पास तुम नहीं हो, मेरे
पास कुछ नहीं है।
मेरी हर दुआ के दम में, बस
एक आरजू तुम्हारी:
इस आरजू के आगे, कोई
रास्ता नहीं है।
हर पल तुम्हारी बातें, तुमसे
ही जुस्तजू है:
बस तेरे ही खयालों में, मेरी
तो जिन्दगी है।
कैसे भला छुपाये, दुनिया
की हर अहद से:
कि जो जुबां रोक भी लूं, तो
आखें बयान हैं।
अब तो ख्वाहिशें भी तुमसे, तुम्ही
बंदगी हमारी:
कि इस आरजू के आगे, कोई
रास्ता नहीं है।।
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