मंगलवार, 28 मई 2013

पुराना नाता है क्रिकेट और फिक्सिंग का

भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार की रेलम-पेल के बीच खेलों में उठे फिक्सिंग विवाद ने विश्व की नज़रों में भारत को काफी शर्मसार किया है। रेलगेट और कोलगेट के चलते हाल के दिनों में भारतीय राजनीति में भूचाल थमा नहीं था कि क्रिकेट के दंगल आईपीएल में भ्रष्टाचार उजागर हो गया। आईपीएल की टीम राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेटर श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजीत चंदीला को आईपीएल मैचों के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मामले की तहकीकात चल रही है। जिस तरह भारतीय राजनीति जीप घोटाले से लेकर 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, कोयला घोटाला और रेल घोटाला से यदाकदा कलंकित होती रही है। उसी तरह क्रिकेट के दामन पर भी लगातार दाग लगते रहे हैं।
आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग में तो पैसे की बरसात पहले से ही हो रही है क्योंकि इसके हर सीजन की कमाई अरबों में होती है। जिससे बीसीसीआई, टीमों के मालिक और क्रिकेटर हर साल माला माल हो रहे हैं। नामचीन क्रिकेटरों से लेकर गुमनामी में खोए क्रिकेटरों को भी कमाई करने का भरपूर मौका मिलता है लेकिन किसी क्रिकेटर की बोली करोड़ों में लगती है तो किसी की कुछ लाख तक ही। ऐसे में कम धन प्राप्त करने वाले क्रिकेटरों की चाहत अपने साथी क्रिकेटरों की तरह ज्यादा धन कमाने की इच्छा होती है। उनकी इच्छा को बल, तब और मिल जाता है जब कोई सटोरिये उनसे स्पॉट फिक्सिंग कर लाखों करोड़ों कमाने का आसान जरिया बता देता है। इसी गिरफ्त में फंसकर ये क्रिकेटर वो कर बैठते हैं जिससे क्रिकेट दागदार हो जाता है।
क्रिकेट में फिक्सिंग कोई नया नहीं है। इसका जाल विश्व स्तर पर फैला हुआ है। पहली बार 1994 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान सलीम मलिक पर मैच फिक्स करने और ऑस्ट्रेलिया के पाकिस्तान दौरे पर शेन वार्न और मार्क वा को लचर प्रदर्शन करने के लिए पैसे की पेशकश का आरोप लगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी शेन वॉर्न और मार्क वॉ पर 1994 में ही श्रीलंका दौरे के दौरान सटोरियों को पिच और मौसम के बारे में जानकारी देने का आरोप लगा उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ा।
उसके बाद फिक्सिंग का सिलसिला चल पड़ा। 1996 में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर सुनील देव ने कुछ भारतीय क्रिकेटरों पर मैच फिक्सिंग के लिए पैसे मांगने का आरोप लगाया। 1997 में मनोज प्रभाकर ने साथी क्रिकेटरों पर 1994 के श्रीलंका दौरे के दौरान फिक्सिंग कराने के लिए 25 लाख रुपए दिलाने का आरोप लगाया।
1998 में पाकिस्तानी गेंदबाज अताउर रहमान और वसीम अकरम पर न्यूजीलैंड के खिलाफ खराब गेंदबाजी करने के लिए तीन लाख डॉलर की पेशकश करने का आरोप लगा। 1998 में पाक क्रिकेटर राशिद लतीफ ने वसीम अकरम, सलीम मलिक, इंजमाम उल हक और एजाज अहमद पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। 1998 में शेन वार्न और मार्क वा ने माना कि उन्होंने वर्ष 1994 में श्रीलंका में खेले गए सिंगर कप के दौरान मौसम और पिच की जानकारी सट्टेबाज को बेची थी।
2000 में दिल्ली पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्ये पर भारत के खिलाफ वनडे मैच में फिक्सिंग कराने का आरोप लगाया। हर्शेल गिब्स, पीटर स्ट्राइडम और निकी बोए पर भी उंगलियां उठी थीं। क्रोन्ये ने स्वीकार किया था कि उन्होंने भारत में खेली गई एक दिवसीय सीरीज के दौरान अहम सूचनाएं 10 से 15 हजार डॉलर में बेचीं। अप्रैल 2000 में अफ्रीकी टीम के भारतीय टीम से 1994 में मुंबई में खेले गए एक मुकाबले में दो लाख पचास हजार डॉलर लेकर मैच हारने का खुलासा हुआ।
2000 में ही मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर आरोप लगाया कि उन्होंने ही 1994 में श्रीलंका में खेले गए मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ खराब प्रदर्शन करने को कहा था। इसी साल पाकिस्तान की एक न्यायिक जांच समिति ने पूर्व कप्तान मलिक मुहम्मद कयूम और गेंदबाज अताउर रहमान पर फिक्सिंग करने की पुष्टि की। दोनों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। फैसले में कहा गया कि अकरम और मुश्ताक अहमद भविष्य में कभी भी टीम के कप्तान नहीं बनाए जाएंगे। जून 2000 में अफ्रीकी खिलाड़ी हर्शेल गिब्स ने स्वीकार किया था कि उनके एक पूर्व कप्तान ने उन्हें भारत में खेले गए एक मुकाबले में 20 से कम रन बनाने को कहा था। इसके बदले में उन्हें 15 हजार डॉलर दिए गए।
2000 में ही दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट प्रमुख अली बशिर ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व सीईओ माजिद खान ने उन्हें बताया है कि विश्व कप-1999 के दो मैच पहले से ही फिक्स थे। ये मैच पाकिस्तान ने भारत और श्रीलंका के खिलाफ खेले थे। जून 2000 में क्रोन्ये ने कहा कि उन्होंने एक मैच में फिक्सिंग के लिए एक लाख डॉलर लिए थे। मगर मैच फिक्स नहीं किया। जुलाई 2000 में आयकर विभाग ने कपिल देव, अजहरुद्दीन, अजय जडेजा, नयन मोंगिया और निखिल चोपड़ा के माकानों पर छापे मारे। अक्टूबर 2000 में क्रोन्ये पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया। नवंबर 2000 में अजहरुद्दीन को फिक्सिंग का दोषी पाया गया जबकि अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और भारतीय टीम के पूर्व फीजियो अली ईरानी के संबंध सट्टेबाजों से होने की पुष्टि की गई। दिसंबर 2000 में अजहरुद्दीन और अजय शर्मा पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया।
अगस्त 2004 में केन्या के पूर्व कप्तान मॉरिश ओडेंबे पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया। उन्हें कई मैचों में पैसे लेकर फिक्सिंग करने का दोषी पाया गया था। नवंबर, 2004 में न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफेन फ्लेमिंग ने दावा किया कि उन्हें एक भारतीय खेल आयोजक ने 1999 में खेले गए विश्व कप में खराब प्रदर्शन करने के लिए 3 लाख 70 हजार डॉलर की रकम पेश की थी।
2008 में मैरियन सैमुअल्स को दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। उन पर 2007 में भारत दौरे के दौरान एक भारतीय सट्टेबाज द्वारा फिक्सिंग के लिए पैसे लेने का आरोप सिद्ध किया गया था। 2010 में दानिश कनेरिया और मार्विन वेस्टफील्ड को काउंटी क्रिकेट में फिक्सिंग की जांच के मामले में गिरफ्तार किया गया। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। अगस्त 2010 में लॉर्ड्स टेस्ट में स्पॉट फिक्सिंग में पाकिस्तानी टीम के पूर्व कप्तान सलमान बट्ट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ फंसे। फरवरी 2011 में आईसीसी ने लॉर्ड्स टेस्ट में स्पॉट फिक्सिंग करने के दोषी पाकिस्तानी टीम के पूर्व कप्तान सलमान बट्ट पर 10 साल, मोहम्मद आमिर पर पांच साल और मोहम्मद आसिफ पर 7 साल के लिए प्रतिबंध लगाया।

भारत के एक निजी समाचार चैनल ने अपने एक स्टिंग ऑपरेशन में आरोप लगाया कि छह एंपायर 2012 टी-20 वर्ल्ड कप के मैच फिक्स करने को तैयार थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने श्रीलंका में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के इन आरोपों की जांच की है। इससे जाहिर होता है हमाम में सभी नंगे हैं। जब अतंरराष्ट्रीय मैच में फिक्सिंग होता रहा है तो आईपीएल की शुरुआत पैसा कमाने के लिए ही हुई है। फिर भी खेल को खेल बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश होनी चाहिए। अगर खेल की आत्मा मरती है तो प्रशंसकों में भारी निराशा होगी। उम्मीद है फिक्सिंग के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी और क्रिकेट एक बार फिर जेंटल मेन्स गेम बन कर उभरेगा।

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