चुप-चाप खड़े हैं
हम दोनों, सवाल यही कि बोले कौन ?
सर-सर बह रही हवाएं, कानों
से मफलर खोले कौन ?
शब्द फंसे सब मुख के अंदर, सन्नाटे को तोड़े कौन ?
कटुता इतनी भरी है हममें,
मिसरी सी बातें घोले कौन ?
लाख
मानू सब अवगुण मेरे, तुम गुणवान ये बोले कौन ?
माना ओस की बूंदे शीतल, उससे
प्यास बुझाये कौन ?
रेत भी गीली पानी से पर, रेत
के कपड़े निचोड़े कौन ?
तन की पीड़ा
ढ़ुलक के कटती, मन के मर्म को जाने कौन ?
जो ख्वाब सलोने
भ्रम हैं फिर भी, नींद से नाता तोड़े कौन ?
रंग
भी ले-लू फूलों से पर, धनुष इन्द्र के सजाये कौन ?
लक्ष्य
रखे 'आकाश' से ऊंचे, मन को धैर्य जताये कौन ?
मुख तेज, ओज माथे पर है...
फिर चंदन तिलक लगाये कौन ?
जब मां मेरी है घर पर बैठी,
बिन आशीष जग जिताये कौन ?
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