मंगलवार, 12 जनवरी 2010

नए साल पे अरमान

मेरे दोस्तों को मेरा सलाम कहे
नया साल सबको ये पैगाम कहे
जिंदगी में सिर्फ सुखो की ही नहीं
दुखो की भी थोड़ी शाम रहे

ऐसा मेरा पैगाम नहीं जो छु न पाए हर दिल को
जाये जो भी जाना है बस हर दिलो से ये आवाज़ रहे
बेगानों की बस्ती में अनजाने कभी न हम रहे
रह जाये तो रह जाये पर सबको ये इनाम रहे .

डर कर जिए न हम कभी ऐसा मेरा ऐलान रहे
प्यार मोहब्बत मिले सबको और हमारी शान रहे
जाने अनजाने में कोई भूल न हो हम से ऐसी की
दोस्तों की महफ़िल में हम पल भर के मेहमान रहे

पढ़ा किताबो में और देखा भी है हमने
जो चाँद सितारों की बाते है उनका ये अरमान रहे .
छपे हमारे दिलो पे वो मोहब्बत की स्याही से .
मिट ना पाए वो कभी ऐसे शब्दों का काम रहे

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