शुक्रवार, 9 मार्च 2012

आंकड़ों की गवाही में भी बड़े खिलाड़ी हैं राहुल द्रविड़

नई दिल्ली, 09 मार्च (हि.स.)। कहते हैं कि आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते। आंकड़े किसी खिलाड़ी की सफलता और असफलता का पहला सबूत पेश करते हैं और इस लिहाज से अगर राहुल द्रविड़ के आंकड़ों पर गौर करें तो वह नि:संदेह बड़े खिलाड़ी प्रतीत होते हैं।

क्रिकेट के खेल में आंकड़ों की महत्ता का अंदाजी इसी से लगाया जाता है कि वह सीधे तौर पर खिलाड़ी की अपनी मेहनत को दर्शाता है। आंकड़ों की तरह द्रविड़ का व्यक्तित्व और उनका पेशेवर करियर इस बात का इशारा करता है कि वह भारतीय ही नहीं विश्व क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। ऐसे में द्रविड़ का संन्यास एक ऐसा खालीपन लेकर आया है, जिसमें परंपरागत क्रिकेट को चाहने वाले सबसे अधिक निराश होंगे।

विशुद्ध किताबी शॉट खेलने वाले द्रविड़ ने भारत के लिए 344 एकदिवसीय और 164 टेस्ट मैच खेले हैं। क्रिकेट के दोनों स्वरूपों में द्रविड़ के नाम 10 हजार से अधिक रन हैं। टेस्ट मैचों में द्रविड़ ने जहां सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे अधिक 13288 रन बनाए हैं वहीं एकदिवसीय मैचों में उनके नाम 10889 रन हैं। भले ही रन तेजी से बनाने के लिए द्रविड़ को न जाना जाता हो पर यह भी सत्य है कि एकदिवसीय/टी-20 मैचों में भारतीय बल्लेबाजों में वह सबसे तेज पचासा लगाने वालों में तीसरा स्थान रखते हैं। उनसे आगे केवल युवराज सिंह (12 गेंद), अजीत आगरकर (20 गेंद) हैं, जबिक द्रविड़ ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 22 गेंदों में अपना पचासा जड़ा था।

फटाफट खेल से इतर पारम्परिक खेल टेस्ट मैच में द्रविड़ ने 36 शतक और 63 अर्धशतक लगाए हैं। शतकों की दौड़ में वह दूसरे सबसे सफल भारतीय बल्लेबाज हैं। सचिन तेंदुलकर ने उनसे अधिक 51 शतक लगाए हैं। टेस्ट मैचों में द्रविड़ के नाम सबसे अधिक 210 कैच लपकने का रिकार्ड है। एकदिवसीय मैचों में द्रविड़ के नाम 12 शतक और 83 अर्धशतक हैं। उन्होंने 196 कैच लपके हैं। विकेटकीपर के तौर पर द्रविड़ ने एकदिवसीय मैचों में 14 स्टम्प भी किए हैं। सचिन की तरह द्रविड़ ने भी एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय ट्वेंटी-20 मैच खेला है, जिसमें उनके नाम 31 रन दर्ज हैं।

वर्ष 1996 में लॉर्ड्स में 95 रनों की पारी के साथ अपने टेस्ट करियर का आगाज करने वाले द्रविड़ ने अपना अंतिम टेस्ट 24 जनवरी को एडिलेड में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। क्रिकेट जगत में 'द वॉल' और 'मिस्टर भरोसेमंद' जैसे विशेषणों से नवाजे गए द्रविड़ भारत के अलावा स्कॉटलैंड, एशिया एकादश, आईसीसी विश्व एकादश, एमसीसी और इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल बैंगलोर चैलेंजर्स और राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले हैं।

उल्लेखनीय है कि बेंगलुरू के सेंट जोसफ हाई स्कूल से निकलकर पहले कर्नाटक और फिर भारत के लिए खेलने वाले द्रविड़ ने अपने 20 साल के क्रिकेट करियर में सबका प्यार पाया और उस प्यार के तोहफे के तौर पर देश के लिए कई नायाब पारियां खेलीं। एक वक्त ऐसा था जब भारत के क्रिकेट प्रेमी यह मानते थे कि कोई विकेट पर टिके या न टिके द्रविड़ जरूर टिकेंगे और द्रविड़ ने इस विश्वास को कायम रखते हुए अपने लिए सबके दिलों में एक खास जगह बनाई।

हिन्दुस्थान समाचार/09.03.2012/आकाश।

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