सोमवार, 19 मार्च 2012

मां...


"अभी तक वो बचपने की यादें हैं बाकि,
और वो बचपने की बातें हैं बाकि।

कि जब मैंने बोला था मां पहली बार,
मां की आंखों में भरा था कितना प्यार।

पैदा हुआ था तो कुछ भी नहीं था मैं,
मां की वजह से ही हूं आज मैं।

लालच तो कुछ नहीं मेरी मां को मगर,
अच्छा हो दे दूं दिल तोहफे में अगर।

मां को छोड़ते हैं ऐसे कुछ लोग होते हैं,
फिर औरों के लिए वो हमेशा बोझ होते हैं।

कुछ लोगों के लिए मां को कभी छोड़ते नहीं,
चाहे कुछ भी हो जाये मुंह मोड़ते नहीं।

मां से हमेशा हमें सुख मिलता है,
फिर भी उसको हमसे दुख मिलता है।

काश मैं कुर्बान करुं सब उसकी सदा पर,
और वो मुझे प्यार करे मेरी इसी अदा पर।

मेरी मां से मुझे कोई जुदा न करे।
करुं प्यार किसी और से खुदा न करें।"

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