रविवार, 11 मार्च 2012

बहन...


"बहुत चंचल बड़ी खुशनुमा सी होती है बहन,
नाजुक सा दिल है रखती, मासूम सी होती है बहन,
बात-बात पर रोती हैं, लड़ती हैं, झगड़ती हैं,
पर झट से मान जाने वाली नादान परी होती है बहन...

है रहमतों से भरपूर, खुदा की ईनायत है बहन,
भाईयों की सूनी कलाईयों पर प्यार बनकर छाई है बहन,
घर भी महक उठता है जब मुस्कुराती है बहन,
जब डांट पर बड़ों की गुस्सा जाते हैं भाई,
तो दादी अम्मा की तरह समझाती और हंसाती है बहन....

होती है अजीब हालत जब छोड़ वो घर को जाती है,
खुशी उसकी विदाई की, पर आंख तो भर ही आती है,
लाख मनाये दिल के अपने, धर्म है उसका एक दिन जाना,
फिर भी उससे बिछड़ने का गम़, मन में घर कर जाती है।

दीवारों पर भले चढ़ा हो रंग और सजी हो रंगीन लतरियां,
पर सूना-सूना रहता घर-आंगन, जब विदा वो हो जाती है।
हंसी-ठिठोली करने वाली, जग से प्यारी अपनी बहन,
अन्त समय जाते-जाते कितना रुला जाती है बहन...।"

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