"अब सोचते हैं नये दिन से नया सा हाल हो,
अपनी हरकतें भी लोगों को लिए मिसाल
हो।
अपने शहर में कोई न रहे दूर किसी
से,
रहे हर ओर शांति अब न कोई बवाल हो।
ये तेरा है ये मेरा है, ये बातें भूल जाये सब,
कि हर लब पर बस ‘हमारे’ लहजे का कमाल हो।
चले ऐसी आंधी की मिटे सारे रंजिश-ए-शिकवे,
दुश्मनों में भी हो मोहब्बत, उनमें बोलचाल हो।
न झगड़े कोई किसी से, ना अब फसाद हो कोई,
मुस्कुराहटों संग गुजरे जिंदगी ऐसा
कोई साल हो।
सब कुछ हमारे पास फिर क्यों है गरीबी
का बसर,
इस अमीरे-शहर में अब कुछ ऐसे भी
सवाल हो।
कभी तो बदले महोब्बत का भी निजाम
देश में,
उब चुके हुश्न-ओ-इश्क से, अब देशप्रेम मुहाल हो।"
बहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंसादर
हबीब साहब हौसला अफजाई का शुक्रिया..
हटाएंजी आपका आभार.. कि आपको रचना अच्छी लगी..
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