मंगलवार, 9 अगस्त 2011

कुछ जज्बात...


"दिल-ओ-नज़र से कुछ देर भी जुदा रखूं,

ये मेरे बस मैं नहीं की तुझे खफा रखूं !

नहीं है कुछ भी मेरे ज़ेहन में सिवा इसके,

मैं तेरी याद भुला दूँ तो याद क्या रखूं !!"


"टुकड़ों में जी रहे हैं, जीने की चाह में हम,

महंगा पड़ा है शायद ये ज़िन्दगी का शौक..

सादगी है ये की दिल कहता है सबको अपना,

मुझको मिटा न डाले कहीं ये दोस्ती का शौक..."


"जो आजमाते हैं उन्हें भी ये पता चले,

हम साथ में लिये हुए किस की दुआ चले।

ख्वाहिश है या खलिश है या कोई खुमार है,

तू न दिखा तो हम जुस्तजू-ए-तन्हाई चले..।।"


"सब बलाएँ रोज मेरी अपने सर लेती रही

माँ ही थी जो सह के सब कुछ भी दुआ देती रही

उसके दम पर आ अंधेरों आज भी रोशन हूँ मैं

मेरी बुझती लौ को माँ हर दिन हवा देती रही........"


"आवारा मिजाजी से निकलने नहीं देता ,

मैं चाहूँ बदलना वो बदलने नहीं देता ,

ना जाने कैसा उसकी दोस्ती में है नशा ,

एक उम्र हुई मुझको संभलने नहीं देता...."


"खताए उसकी आज उसको बता आये हम,

आँखों के मोती को आँखों से गिरा आये हम,

कहते ही क्या उस इश्क के व्यापारी को भला,

दिखा के आईना नजरो से गिरा आये हम...."


"हम से बिछड़ कर बेनाम हो जाओगे,

सौदागरों के हाथो नीलाम हो जाओगे,

हमें अच्छा नहीं लगता तेरा हर एक से मिलना,

हर किसी से मिलोगे तो आम हो जाओगे..! "


"कुछ फासले सिर्फ आँखों से होते हैं,

दिल के फासले तो बातों से होते हैं,

कोई लाख भुलाने कि कोशिश करे पर,

कुछ रिश्ते ख़त्म सिर्फ साँसों से होते हैं..!"


"क़सम उन मस्त आँखों कि,

मै वो लबरेज सागर हूँ,

जो मस्ती में चल निकलूँ,

तो सारी दुनियां को ले डूबूं.."

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