रविवार, 22 अप्रैल 2012

मुहब्बत ऐसी धड़कन है...

"मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती,
जुबां पर दिल की बेचैनी कभी लाई नहीं जाती।

जता देने से दिल हल्का तो हो जाता है पर यारों,
शब्दों की बिसात पर जज्बातें बिछाई नहीं जाती।

समझना हो जो बातों को तो आखों से ही पढ़ने दो,
कि निगाहों की पढ़ाई फिर झुठलाई नहीं जाती।

यकीनन याद आया होगा उनको भी इश्क का ककहरा,
वर्ना, नीची नजरों और दबें होंठों पर मुस्काने नहीं आती।

जुबां ना-ना कहे, सिर भी हिकारत में हिले, ये इंकार होता है,
पर दिल की धड़कनों से राज-ए-इश्क छिपाई नहीं जाती।

मुकरने दो उन्हें तुम भी, छोड़ों उनकी गैरत पर,
वो लौट ही आयेंगे, मोहब्बत कहां दबाई जाती है।

अगर उनका यहीं है फैसला तो सुन ले जहां सारा,
किसी के इश्क में मरने की फितरत हमको नहीं भाती।

चाहा था, चाहता हूँ और उन्हें आगे भी मैं चाहूंगा,
उन्हें पाने न पाने से चाहत मेरी, मर तो नहीं जाती।"

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