शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

प्यार उत्साह और इंतजार


इतना संभल-संभल के न चलो,
कि न फिसल पाओ यारों....
इतनी तो मार लो कि
किसी से टकरा जाओ यारों,
टकराहट के बिना मुलाकात कैसे होगी,
हर मुलाकात के बाद ही तो बात बनेगी,
बातों के बीच अपनी राग छेड़ देना प्यारे,
मोहब्बत के अरमान उन पर थोप देना सारे,
होगा उनको यकीं तो साथ वो भी देंगे,
नहीं तो फिर संभल के चलना,
कहीं और फिसल लेंगें...।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Pages