“इतना संभल-संभल के न
चलो,
कि न फिसल पाओ
यारों....
इतनी तो मार लो कि
किसी से टकरा जाओ
यारों,
टकराहट के बिना
मुलाकात कैसे होगी,
हर मुलाकात के बाद ही
तो बात बनेगी,
बातों के बीच अपनी
राग छेड़ देना प्यारे,
मोहब्बत के अरमान उन
पर थोप देना सारे,
होगा उनको यकीं तो
साथ वो भी देंगे,
नहीं तो फिर संभल के
चलना,
कहीं और फिसल
लेंगें...।।”
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