मंगलवार, 13 सितंबर 2011

आँखों की नमी...

" हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है

हँसती आँखों में भी नमी-सी है


दिन भी चुप चाप सर झुकाये था

रात की नब्ज़ भी थमी-सी है


किसको समझायें किसकी बात नहीं

ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है


ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई

गर्द इन पलकों पे जमी-सी है


कह गए हम ये किससे दिल की बात

शहर में एक सनसनी-सी है


हसरतें राख हो गईं लेकिन

आग अब भी कहीं दबी-सी है।"


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