रविवार, 4 सितंबर 2011

मुश्किल हूँ बहुत थोडा़ सा आसान कर मुझे

"मुश्किल हूँ बहुत थोडा़ सा आसान कर मुझे

मिल जाये जमीं से जो, आसमान कर मुझे


हो फूल सा दिल जिसमे ना हो कोई फरेबी,

बच्चों की तरह ऐ खुदा नादान कर मुझे,


बढती हैं कैसे रौशनी आँखों की देखना,

दो चार दिन ख्वाबों में मेहमान कर मुझे,


रिश्तों की फेर-बदल की रफ़्तार कर धीमी,

कर इतना करम मौला फिर इंसान कर मुझे,


पहचान मेरी सिर्फ हिंदुस्तान हो रब्बा,

न कोई जात न धर्म-ओ-खानदान कर मुझे..."


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