बुधवार, 14 सितंबर 2011

आखिरी मैच खेलने की हैट्रीक लगायेंगे द्रविड़

नई दिल्ली, 14 सितंबर (हि..)। भारतीय क्रिकेट टीम के बल्लेबाजी की रीढ़ रहे राहुल द्रविड़ के नाम तो वैसे कई विश्व रिकार्ड हैं लेकिन आगामी शुक्रवार 16 सितंबर 2011 एक और रिकार्ड बनाने जा रहे हैं। द्रविड़ इस दिन अपने करियर का आखिरी मैच खेलने की हैट्रीक लगायेंगे, क्योंकि इससे पहले वह दो बार और वनडे से बाहर होने के बाद उनके करियर खत्म होने की आशंका उठ चुकी है। इस बार यह आशंका नहीं बल्कि हकीकत है कि वह इंग्लैंड सीरीज के बाद वनडे से संयास ले लेंगे।

करीब चार साल पहले अक्तूबर 2007 में नौ मैच में 8.88 की औसत से 80 रन बनाने के कारण राहुल द्रविड़ को भारतीय एकदिवसीय टीम से बाहर कर दिया गया था। तब माना गया कि द्रविड़ का वनडे कैरियर समाप्त हो गया लेकिन दो साल बाद पुनः वापसी हुई और फिर टीम ने उन्हें बिसार दिया। अब इंग्लैंड में फिर से जरूरत के आधार पर चयनीत द्रविड़ ने संयास की घोषणा कर दी। बार-बार दो-दो साल के अंतराल पर टीम में जगह पाने वाले श्रीमान भरोसेमंद अब अंततः शुक्रवार को कार्डिफ में इंग्लैंड के खिलाफ वास्तव में अपना आखिरी वनडे मैच खेलेंगे।

राहुल द्रविड़ को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रंखला में शानदार प्रदर्शन के कारण वनडे टीम में चुना गया। उन्होंने तभी घोषणा कर दी थी कि वह इस सीरीज के बाद क्रिकेट के इस प्रारूप को अलविदा कह देंगे। इससे पहले भी दो अवसरों पर यह मान लिया गया था कि द्रविड़ अपना आखिरी वनडे खेल चुके हैं लेकिन वह टीम में वापसी करने में सफल रहे थे लेकिन अब फैसला स्वयं द्रविड़ ने किया है। अक्तूबर 2007 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ द्रविड़ का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और इसके बाद जब पाकिस्तान की टीम भारत आई थी तो उन्हें टीम में नहीं चुना गया था। तब भी यह माना गया कि द्रविड़ ने 14अक्तूबर 2007 को अपना आखिरी वनडे खेल लिया है, लेकिन इसके लगभग दो साल बाद उन्हें शार्ट पिच गेंद खेलने और विशेषकर दक्षिण अफ्रीका में खेले गए आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के दम पर श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज और चैंपियन्स ट्राफी के लिए टीम में लिया गया।

द्रविड़ के वापसी पर तब चयनकर्ताओं के फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी। जिसमें दिलीप वेंगसरकर भी शामिल थे जिनके चयनसमिति का अध्यक्ष रहते हुए द्रविड़ बाहर किए गए थे। वेंगसरकर ने कृष्णामाचारी श्रीकांत की अगुवाई वाली चयनसमिति के इस फैसले पर कहा था कि राहुल की इसलिए वापसी हुई है कि वह शार्ट गेंद को अच्छी तरह से खेलते हैं तो फिर यह भारतीय क्रिकेट के लिए चिंता का विषय है टीम फिर से पीछे देखने में लगी है। द्रविड़ को हालांकि दक्षिण अफ्रीका में खेली गयी चैंपियन्स ट्राफी के बाद फिर से बाहर कर दिया गया। उन्होंने इस बीच छह मैच में 180 रन बनाए जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरियन में खेली गई 76 रन की पारी भी शामिल है। जब यह लगने लगा था कि द्रविड़ 30 सितंबर, 2009 को जोहानिसबर्ग में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम वनडे खेल चुके हैं तब इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में तीन शतक जड़ने के कारण द्रविड़ की वनडे सीरीज में फिर से वापसी हो गयी।

इंग्लैंड के खिलाफ वनडे श्रृंखला में द्रविड़ के चुने जाने पर चयनसमिति के पूर्व अध्यक्ष किरण मोरे और वेंगसरकर ने इस बार भी चयनकर्ताओं के फैसले पर नाखुशी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि था कि भले ही राहुल टेस्ट में अच्छा खेले हो पर वनडे में किसी युवा को ही तरजीह दी जानी चाहिए थी। हालांकि द्रविड़ ने अब तक खेले गए चार मैचों में टेस्ट सीरीज जैसी फार्म नहीं दिखाया है। उनसे उम्मीद की जा रही थी वह अच्छा प्रदर्शन करके अपना औसत 40 के ऊपर ले जाएंगे लेकिन चार मैच में 2, 32, 2, और 19 रन बनाने से अब उनका औसत 39 से भी नीचे गिरने का खतरा मंडराने लगा है। अब तक 39.06 की औसत से रन बनाने वाले द्रविड़ को 39 का औसत बनाए रखने के लिए कार्डिफ में अपने अंतिम वनडे में कम से कम 22 रन जरूर बनाने होंगे।

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