तीन...
“ये रास्ते ले ही जायेंगे मंजिल तक हमें,
कभी सुना है... अंधेरों
ने सवेरा होने न दिया हो।”
“मेरी खामोशी को मेरा गुमान न समझ,
दिल की बातों को अल्फाज
बयां नहीं करते।”
“नया दिन, नयी सुबह, नयी ताजगी,
वहीं हौसला, वहीं
उम्मीदें, वहीं सादगी।”
“किसी ने प्यार में फिर आजमाया है किसी को,
तभी मेरे शहर में आज एक
और जनाजा उठा है।”
“ये माना लौट कर आते नहीं गुजरे हुए लम्हे,
मगर वो अपनी कुछ परछाईयां तो छोड़
जाते हैं।”
“कैद थे अब तक तेरे दिन-ओ-जान में हम,
तुम जो रुठे हो तो लगता
है आजाद हुए हैं।”
“सुना था इश्क हुस्न की मोहताज नहीं होता,
फिर जाने क्या देखती है
दुनिया सूरत-ए-यार में।”
“वो जीत जाता है अक्सर मुझसे, हर छोटी-बड़ी
लड़ाई में।
और मैं खुश हूँ ये
सोचकर, अपनों से लड़ाई में घाटा ही होगा।।”
“फैली सियाही से बिखरे पन्नों पर लिखी,
एक अधूरी सी कहानी है
जिन्दगी मेरी...। ”
“दीवार के उस पार मेरा ठिकाना
रहा है,
एक हसीन
चेहरे का आना-जाना रहा है।”
“मतलब से मोहब्बत का दिखावा
करने वाले,
जिन्दगी
में देह को इश्क का पैमाना बना देते हैं।”
“आसमान छूने के मेरे इरादे
बुलंद हैं,
छलांग
जरुर लगाउंगा ये फायदेमंद है।”
“विचित्र हाल है, कुदरत की करिश्माई है।
इश्क में बार-बार टूटकर
बिखरजाना हौसला अफजाई है।।”
“जाने कैसे जालिम है वो, जो इम्तहां लेते हैं
इश्क का,
मोहब्बत के ढ़ोल पीटते
हैं, पर सबूतों की बिसात पर।”
“चुभते हुए ख्वाबों से कह दो, कि अब आया न
करें।
हम तन्हा तसल्ली से रहते
हैं, बेकार उलझाया न करें।”
“चैन और जुनूं की बातें वो भी एक साथ,
लगता है इश्क का एक और
मरीज बढ़ गया।”
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
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