शुक्रवार, 18 मई 2012

तमन्ना ये भी है...



कोई हमको भी मिले साथ निभाने की हद तक,
मांगे खुदा से मुझे अपना बनाने की हद तक।

जो मेरी पलकों से आंसुओं को चुराने का हक रखे,
एक वो ही आये मुझे सीने से लगाने की हद तक।

वैसे तो दुनिया में अपने चाहने वाले भी बहुत हैं,
पर न चाहिए कोई अहसान जताने की हद तक।

अक्सर समेटे हैं ख्वाब हमने टूट जाने के डर से,
फिर देर तक सोता रहा नये ख्वाब सजाने की हद तक।

हर रोज लगा रहता हूँ कि बदलूं तकदीर फसानों की,
फिर तेरी याद आ जाती है सारे गम भुलाने की हद तक।

मेरे सांसों, मेरी धड़कनों की रवानी पर मत जाना, दोस्तों
इनसे चलती है जिन्दगानी सिर्फ दिखाने की हद तक।

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