मंगलवार, 1 मई 2012

याद...

ये याद ही तो याद है,
कि हर याद में तू याद है।

जिस याद में तू याद नहीं,
वो याद भी क्या कोई याद है।

ये जो याद-याद का है सिलसिला,
इस सिलसिला-ए-याद में...
फकत तू ही तू बस याद है।

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