बुधवार, 2 मई 2012

तुम याद आये बहुत...


आंखों में सपने सजायें बहुत,
तुम हमकों याद आये बहुत,
हर पल रहा तेरी यादों का पहरा,
दिल है बस तेरी ही बात पर ठहरा।

आज भी बस तू ही तू चल रहा,
नहीं कोई और इस जी को जंच रहा,
कब तक आखिर तेरी ही बातें रहेंगी,
ये सोचकर भी मन ना तूझसे खींच रहा।

तेरी यादें भी तुझसी बड़ी ढ़ीठ है,
तू आती नहीं, तेरी याद जाती नहीं,
तुझको बुलाना और यादें मिटाना,
अब तो दोनों ही हमारे बस की नहीं,

तुझको भूलाने के पैतरें आजमाये बहुत,
कुछ ना कर सके तो खुद को तड़पाये बहुत,
पर तेरा ख्याल जो दिल से जाता नहीं,
इस कुफ्त में खुद को गरियायें बहुत,
पर सच है यही कि..
भुलाने की जिद में भी तुम याद आये बहुत।

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